मेरी ताजा कृित
ये तैल चित्र ‘दीप ज्याेित ’ मािसक पित्रका के पच्चीस वर्ष पूरे होने के उपल्क्ष् में नवम्बर में आयाेिजत होने वाले समारोह में लगाया जासेगा।
जहां तमाम सािहतयकारों का आगमन होगा तथा पुस्तकों की विशाल प्रदर्शनी भी लगाई जासेगी।
आत्म-दीप बालें 'सलिल', बन जाएँ विश्वात्म. मानव बनने के लिए, आये खुद परमात्म.. सकल जगत से तिमिर हर, प्रसरित करें प्रकाश. शब्द ब्रम्ह के उपासक, जीतें मन-आकाश..
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आत्म-दीप बालें 'सलिल', बन जाएँ विश्वात्म.
मानव बनने के लिए, आये खुद परमात्म..
सकल जगत से तिमिर हर, प्रसरित करें प्रकाश.
शब्द ब्रम्ह के उपासक, जीतें मन-आकाश..
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