जब सच्चाई देखी
टूटे सारे भ्रम जब सच्चाई देखी
उथले पानी की गहराई देखी
व्यर्थ बातों के पहाडखड़े है
हवाओं की हाथापाई देखी
सोचने को मजबूर हुये जब
सज्जनों की जग हंसाई देखी
माजरा सब समझ आया जब
आवारों की पीठ थपथपाई देखी
इतिहास की आह निकल गई
जब हिन्दु मुस्लिम लड़ाई देखी
.......
.किरण राजपुरोहित नितिला
7 टिप्पणियां:
टूटे सारे भ्रम जब सच्चाई देखी
उथले पानी की गहराई देखी
wah kiran bahut acha kaha aapne
uthle pani ki gehrai dekhi ..wah
व्यर्थ बातों के पहाड खड़े है
हवाओं की हाथापाई देखी
अच्छी लगी ये पंक्तियाँ !
टूटे सारे भ्रम जब सच्चाई देखी
उथले पानी की गहराई देखी
-बढ़िया है.
व्यर्थ बातों के पहाड़ ...हवाओं की हाथा पाई ....शब्दों का अनूठा प्रयोग ...!!
सोचने को मजबूर हुये जब
सज्जनों की जग हंसाई देखी
Bahut Bhadiya...Badhai!!
टूटे सारे भ्रम जब सच्चाई देखी
उथले पानी की गहराई देख
वैसे पूरी रचना ही लाजवाब है बधाई
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