ऐ ! मेरी कविता
सपनों को
पंाव दें
ऐ मेरी कविता!
चल तू चलती
उमड़ घुमड़
मन में
कुछ ऐसे
जैसे
कोख में प्राण,
प्राणदायी पीड़ा की
सुखद अनुभूति में
जिंदगी जी लेने दे
उस कसमसाहट में
अमृत प्राण बन
उद्घोशित हो
मानसाकाष में रच दे
ऐसी रेखाओं की बनावट
वे जो
विचारों
वचनों को
दे पुख्ता भूमि!
--किरण राजपुरोहित नितिला
1 टिप्पणी:
खुबसुरत भाव है आप कि कविता मे बधाइ हो
आप मेरे ब्लोग पर आये
http://photographyimage.blogspot.com/
आप का मेरीक्रीति ब्लोग पर comment नही हो रहा है आप उसे देखले
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