पुरुष अथाह पानी को रोके खड़े बांध की तरह अपने दुखों को खुद में समाये रहता है । आसानी से न तो अपने भीतर किसी को झांकने देता है न ही दूसरे पुरुष का आसानी से आत्मीय बन पाता है परन्तु
स्त्री की प्रकृति नाले के बंध की तरह होती है । तनिक प्रवाह से तट टूट जाते हैं। यही कारण है कि स्त्रियां पुरुषों की तुलना में अधिक जल्दी आत्मीय बन जाती है और दूसरे को आसानी से आत्मीय बना भी लेती है।
इसी में स्त्रियों की सहनशीलता व लंबी आयु का राज छुपा है।
1 टिप्पणी:
"स्त्री की प्रकृति नाले के बंध की तरह होती है । तनिक प्रवाह से तट टूट जाते हैं"
इसलिए जीवन मूल्यों को ठीक से समझती और निभाती भी हैं - अखंड सत्य.
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