किया जाये......
जाते हुये को
एक मुस्कुराहट से
विदा किया जाये जो
कहा सुना
उसे माफ किया जाये ,
बीती कड़वी बातों को
उड़ाकर
मीठी बातों को दिल से
लगाकर
जाते हुये को
थोड़ा रोक लिया जाये
जो खता गुनाह हो
माफ किया जाये ,
सभी दोस्त वापिस मिले
जरुरी नही
मन में फिर ऐसा गुल खिले
जरुरी नही
दोस्तों को रिश्तों में
न बांधा जाये
जो शिकायत हो
भुला दी जाये,
दिल की हर गांठ
जुबां पर
नही लाई जाती
गुस्ताखियां तो
अनचाहे ही हो जाती
हर कूसूर को
दिल पर न लगाया जाये ,
जो नाराजगियां है
सफा की जाये!!!
..............किरण राजपुरोहित नितिला
4 टिप्पणियां:
Bahut sundar Kiranji,
sacche bhav hai kavita ke, wese bhi kshama se bad kar chain nahi aur pratikaar se bada koi kalah nahi ..Badhai!!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
बहुत सुन्दर रचना.
बहुत अच्चा लिखा हे आप ने
http://kavyakalash.blogspot.com/
शेखर कुमावत
बहुत सुन्दर रचना ही जी!
बधाई!
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