.............. पक्षियों का कलरव शोर नही कहलाता क्योंकि जिस रव में अपनों से मिलने की उत्कंठा हो ,अपनों को सम्हालने का भाव हो सहयोग एवं प्रेम की उत्कठ पुकार हो वो शोर कैसे होगा।
...........पुस्तकें वे तितलियां है जो ज्ञान के पराकणें को एक मस्तिष्क से दूसरे मस्तिष्क तक ले जाती है।
............इस दुनिया में कुत्ता ही एक मात्र प्राणी है जो हमें स्वयं से अधिक प्यार करता है।
5 टिप्पणियां:
बहुत ही उम्दा भाव ।
बहुत ही उम्दा भाव ।
कम शब्दों में अधिक कहा गया.
बहुत मनोरम ब्लॉग
दिल को छू रही है यह कविता .......... सत्य की बेहद करीब है ..........
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