होता है....................
वर्तमान पल भर का होता है
शेष भूत भविष्य में बंटा होता है
मनुष्य तो वह पल भर होता है
शेष इर्ष्या दुख क्रोध का पता होता है
रंग प्रसन्नता का सुहाना होता है
दुख में हर रंग गहरा काला होता है
हर गीत की धुन लुभाती है
प्रतीक्षा घन के गान की होती है
सृष्टि का ध्रुव कोमल स्त्री है
हर नारी का त्याग उर्मिला होता है ...
.............किरण राजपुरोहित नितिला
3 टिप्पणियां:
बहुत सही कहा है..
वर्तमान पल भर का होता है
शेष भूत भविष्य में बंटा होता है
waah bahut sundar
बहुत सुन्दर रचना.
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