शनिवार, 22 अगस्त 2009

बिटिया.............

प्ंखों को जरा लरज़ा बिटिया
बाहर नीला आसमां बिटिया
मेरेे अरमान तेरे दिल में
अब खुली हवा दिखा बिटिया
मौसम अड़चनें देता रहेगा
मुष्किलें से न घबरा बिटिया
आंचल भर भर आषा और आषीश है
करेगा तेरी रक्षा बिटिया
अहंकार उसमें हो कितना ही
तेरे दम से दुनिया बिटिया
देख अपनी जड़ें खोद कर वो
इतरा रहा है कितना बिटिया
बैठा घात लगाए सदियों से
पर तू भी है सबला बिटिया
-किरण राजपुरोहित नितिला