गुरुवार, 18 फ़रवरी 2010

ईर्ष्या

ईर्ष्या


ईर्ष्या एक सहज भावना है और ईर्ष्यालु होना भी समान्य सी बात है लेकिन
एक ईर्ष्या होती है जो सफल लोगों के मूल्य अपनाकर हमें उनकी तरह बनने के लिए प्रेरित करती है ।यह ईर्ष्या का रचनात्मक पक्ष है जो किसी भी संस्कृति के विकास में संलग्न रचनात्मक लोगों केा आग बढने के लिए प्रेरित करता है।
ईर्ष्या की दूसरी किस्म नकारात्मक ईर्ष्या है जिसमें लोग दूसरों की सफलता से कुढते है और उनके खिलाफ नफरत से भरकर नकारात्मक कार्रवाई करने लगते है। ये नुकसानदेह होती है
अत यह जरुरी है कि न सिर्फ खुद दूसरों के प्रति ईर्ष्या करने से बचें बल्कि खुद को दूसरों की ईर्ष्या से सुरक्षित रखना भी सीखें। तब तक ईर्ष्या अपने रास्ते में रोड़ा नही अटकाती तब तक सब ठीक है लेकिन जब दूसरे हमारे खिलाफ अफवाहें फैलाएं हमारी सफलता को कम करने का प्रयास करे या कामयाबी की राह में रोड़े अटकानें लगें तो हम क्या करेगें?
तो उसके पास जाकर उसकी शुभकामनाएं लीजिये। उन्हें इसका एहसास कराइए कि हम उनके अधिकार क्षेत्र का हरण नही कर रहे है। अगर यह पैंतरा कामयाब न होतेा याद रखें कि उनके विरोध के कारण आपकी छवि निखरती जाती है । हिटलर ने यहूदियों का जबर्दस्त विरोध करके उनकी पहचान को मजबूत कर दिया। अनजानें मंे ही उसने उनकी पहचान को एक निश्चित स्वरुप दे दिया।
विरोधी से जूझने का एक तरीका यह है कि कोई प्रतिक्रया ही न की जाए। बेहतर होगा कि हम सामने वाले से बदला लेने की बजाय खुद को और अधिक मजबूत बनाएं। बदला लेने मंे हमारा वक्त जाएगा। ताकत कम होगी और तनाव बढेगा। दूसरों की ईर्ष्या से निपटने के लिए सबसे अहम बात यह जानना है कि ईर्ष्यालु व्यक्ति हमारे विचारो को खारिज करने के लिए कौनसे कदम उठाएगा। घाघ सबसे पहले तो हमारे विचारों की उपेक्षा करेगा। अगर उपेक्षा से वा खत्म हो गए तो ठीक है वरना वह हमारी बुराई करना शुरु कर देगा। अगर बुराई से भी काम नही चला तो फिर घाघ के पास उसे हमें अपनाने के अलावा कोई चारा नही रह जाता । अत जब भी हमारे किसी विचार की उपेक्षा की जाए उसे बीच में ही छेाड़ने की गलती कभी न करे। जिस समय उसकी बुराई हो तो हम प्रतिक्रया न करें क्योंकि हमारी रचनात्मकता को वांछित सम्मान जरुर मिलेगा । साथ ही अपनी दौलत और जीवनशैली के बारे में अपने से कमजोर लोगों की बीच श्ेाखी बघार कर ईर्ष्या पैदा करने की गलती न करंे। इसकी बजाय ईर्ष्यालु आदमी के सामने अपनी मुश्किलों की बात करके उसकी ईर्ष्या को कम करने की कोशिश करनी चाहिये। ..............अहा! जिंदगी से