

छू कर मेरे मन को
-भीड़ के अनेक सिर होते हैं लेकिन दिमाग किसी में नहीं।
-डर के पांव पीछे होते हैं। तन कर खड़े होने पर वही पीछे भाग जाता है।
-आंखें सबकी एक सी नहीं होती क्योंकि आंखों से देखने का विचार सबका अलग-अलग होता है।
-मित्र बनते बिगड़ते रहते है परन्तु शत्रु जस के तस रहते है।
-मनुष्य की रुचि उसके चरित्र का प्रस्तावना होती है।
-कठोरता कमजोर व्यक्ति की झूठी ताकत होती है।
-हम उपदेश सुनते है मन भर, देते है तन भर और ग्रहण करते है कण भर।