गुरुवार, 28 मई 2009



छू कर मेरे मन को
-भीड़ के अनेक सिर होते हैं लेकिन दिमाग किसी में नहीं।

-डर के पांव पीछे होते हैं। तन कर खड़े होने पर वही पीछे भाग जाता है।

-आंखें सबकी एक सी नहीं होती क्योंकि आंखों से देखने का विचार सबका अलग-अलग होता है।

-मित्र बनते बिगड़ते रहते है परन्तु शत्रु जस के तस रहते है।

-मनुष्य की रुचि उसके चरित्र का प्रस्तावना होती है।

-कठोरता कमजोर व्यक्ति की झूठी ताकत होती है।

-हम उपदेश सुनते है मन भर, देते है तन भर और ग्रहण करते है कण भर।

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