मंगलवार, 9 नवंबर 2010

मेरा नन्हा दीया

मेरा नन्हा दीया
दीवाली की शाम सूरज
जब लौटकर अस्ताचल आया
मेरे नन्हे दीये को देख
मुग्ध हो मंद मंद मुस्कुराया,
मैंने अर्पित की कुछ उसे
किरणें सुनहरे प्रकाश की
हैरत से थाम,फिरा दिया
उसने जहां  अंधेरी रात थी,
सुखी वह धरा की गोद में
बरस की थकन मिटा रहा था
तिमिर दुबका  था ,मेरा
नन्हा दीया मुस्कुरा रहा था!!....किरण राजपुरोहित नितिला