जब सच्चाई देखी
टूटे सारे भ्रम जब सच्चाई देखी
उथले पानी की गहराई देखी
व्यर्थ बातों के पहाडखड़े है
हवाओं की हाथापाई देखी
सोचने को मजबूर हुये जब
सज्जनों की जग हंसाई देखी
माजरा सब समझ आया जब
आवारों की पीठ थपथपाई देखी
इतिहास की आह निकल गई
जब हिन्दु मुस्लिम लड़ाई देखी
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.किरण राजपुरोहित नितिला