गुरुवार, 16 फ़रवरी 2012

कितनी कितनी बाते है जो
होठों से टकराती नहीं
चिंहुक चिंहुक कर सो जाती
स्वरों  संग लयकाती   नहीं  
मखमली खुद के होने का
एहसास हरदम कराती रही
हर धड़क के साथ उसकी 
गुनगुन  आती जाती रही
मानू उसको सच कितना पर
जग कहे कुछ और सही
छू छू कर लौट जाती खुसबू
 हुई रंगीन कच्ची उम्र की  बही

बुधवार, 15 फ़रवरी 2012

लड्डू पूरी चटनी अचार
खाने की हिदायत बार बार
लोटने पर पूछेगी कई बार
एक टिफिन ,सागर सा माँ का प्यार