सोमवार, 1 जून 2009


ऐ खुदा
खुदा यूं आलम कर जहां में
नेकनीयती भर फिजां में
बिखरा खुशियों की फुहार
म्ुाझसे कर इतना करार

हर घर दाल रोटी की दावत हो
दिल में ईमान शराफत हो
फिर कर सुकूं की बौछार
मुझसे कर इतना करार

हिना से महके गोरे हाथ
दुलहन बेटी देखे हर बाप 
बहू पर न हो कोई अंगार
मुझसे कर इतना करार

एक दूजे के गम में शरीफ 
ब्ूाढे केा बेटा चैक को नीम नसीब
हर तरफ हो सुहाना आबशार
म्ुाझसे कर इतना करार

--किरण राजपुरोहित नितिला

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

мне кажется: отлично! а82ч