शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2010

कविता

किया जाये......

जाते हुये को
एक मुस्कुराहट से
विदा किया जाये जो
कहा सुना
उसे  माफ किया जाये ,
बीती कड़वी बातों  को
उड़ाकर
मीठी बातों को दिल से
लगाकर
जाते हुये को
थोड़ा रोक लिया जाये
 जो खता गुनाह हो
माफ किया जाये ,
सभी दोस्त वापिस मिले
जरुरी नही
 मन में फिर ऐसा गुल खिले
जरुरी नही
दोस्तों को रिश्तों में
न बांधा जाये
जो शिकायत हो
भुला दी जाये,
दिल की हर गांठ
जुबां पर
नही लाई जाती
गुस्ताखियां तो
अनचाहे ही हो जाती
 हर कूसूर को
दिल पर न लगाया जाये ,
जो नाराजगियां है
सफा की  जाये!!!
..............किरण राजपुरोहित नितिला

4 टिप्‍पणियां:

रानीविशाल ने कहा…

Bahut sundar Kiranji,
sacche bhav hai kavita ke, wese bhi kshama se bad kar chain nahi aur pratikaar se bada koi kalah nahi ..Badhai!!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना.

amritwani.com ने कहा…

बहुत अच्चा लिखा हे आप ने
http://kavyakalash.blogspot.com/

शेखर कुमावत

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना ही जी!
बधाई!