गुरुवार, 9 सितंबर 2010

उसका आना .......


उसका आना .......
खुश हूं कुछ
उसका
आना सुनकर
कुछ उमंग भी है
उसका आना सुनकर
पर मन के एक कोने की टीस पर
कोई हलचल नही है
समय ने जिसे लगातार कर दिया
उसको
 क्या बहलाउं
सान्त्वना दूं?
उदासी के पीछे झांकती खुशी
खुशी  के पीछे दुबकी
उदासी
रह रह सिर उठाती
और कचोटती
 कि उसका आना
मतलब
 फिर से जाना
और फिर एक लंबा इंतजार......
        किरण राजपुरोहित नितिला 

3 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

shaandaar..........

jaandaar,,,,,,,,,,,

waah waah waah !

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बड़ी भावपूर्ण रचना.....

daanish ने कहा…

prabhaavshali rachnaa
mn ki bhaavnaaoN ko
saarthak shabd mil gye ho jaise