रविवार, 17 अक्तूबर 2010

मैं हूं...


मैं हूं...
मुस्कुराहट पर लरजती
आहटों पर खनकती हूं
सपनों सा सुहाना राज हूं
मानस का गुनगुनाता साज हूं
कविता का रंगमय नभ
बिरखा की तान बरतती हूं
मंदिर में दीपों की दीपिका
आस्था के मन की आरती हूं
कृष्ण में राधा की झांकी
मीरां के मन की बांसुरी हूं
रात का ताना प्रीत का
पिया के प्रेम की ओढनी हूं
चांद रात तारों की खिलखिल
नव सृष्टि की अठखेली हूं
नीरव निशा की आगम  आशा
जुगनू सी दिप दिप रोशनी हूं
अरुणोदय की नितिला मैं!
नव कलरव संग उगती हूं
..किरण राजपुरोहित नितिला

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