गुरुवार, 4 जून 2009


बात सुनो..................!!

तुम कहते हो
 इस दिल की बात सुनो 
दिल कहता है 
होश का खयाल रखो! 
तुम कहते हो 
इन आंखांे में 
अपने गम भूल जाउं
बूढी आंखेां के पानी को
 कैसे भूल जाउं?


 तुम्हारे केशों में 
अपना आसमां तलाशूं 
या 
राशन की कतारों का 
हैासला रखूं 
तुुम्हें हम सफर बनाकर
सपनों में खो जाउं
या
भाई की तालीम
और बहन का घर बसाउं
तुम्हारे कांधे पर 
सिर रख कर
 दुनिया जहां को भुलाउं
या
इस जहां के कारवां में

अपनी जगह बनाउं


सिर्फ मुहब्बत से
जिंदगी का एक दिन भी 
नहीं कटता
चाह कर भी जिंदगी को 
भुलाकर
मुहब्बत नहीं कर सकता!!

मेरे हाथ के 
फूलों को ही नहीं
खरोचों को भी
 थामना होगा
जिंदगी में ही नहीं 
सपनों में
भी हकीकत से 
सामना हेागा !!!!!


किरण राजपुरोहित नितिला

2 टिप्‍पणियां:

Gyan Darpan ने कहा…

बहुत बढ़िया |

vijay kumar sappatti ने कहा…

namaskar..

bahut der se aapki kavitayen padh raha hoon ..is kavita ne man ko kahin rok sa diya hai .. aap bahut accha likhte hai ...aapki kavitao ki bhaavabhivyakti bahut sundar hai ji ..

meri badhai sweekar kare,

dhanyawad.

vijay
pls read my new poem :
http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/05/blog-post_18.html